भारत को अपना 15वां राष्ट्रपति मिलने वाला है। रामनाथ कोविंद के बाद राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को मतदान हुआ था।
वहीं गुरुवार को संसद भवन में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतगणना हो रही है।
एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू प्रत्याशी हैं, जिनका मुकाबला विपक्ष के यशवंत सिन्हा से है। अगर मतगणना का परिणाम द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में आता है
तो देश को अपनी दूसरी महिला राष्ट्रपति मिल जाएगी। द्रौपदी मुर्मू से पहले श्रीमती प्रतिभा पाटिल को देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ था।
द्रौपदी मुर्मू केवल दूसरी महिला राष्ट्रपति ही नहीं, बल्कि देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति भी बन सकती हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि द्रौपदी मुर्मू कौन हैं? उनका अब तक का जीवन कैसा रहा?
देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन रही द्रौपदी मुर्मू की लाइफस्टाइल कैसी है? उनका घर, परिवार और कार कलेक्शन कैसा है?
ओडिशा की आदिवासी महिला नेता और झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में मयूरभंज जिले के एक आदिवासी परिवार में हुआ था।
मुर्मू के पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। वह गांव के मुखिया हुआ करते थे। उन्होंने गृह जनपद से शिक्षा प्राप्त करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की।
बाद में बतौर शिक्षिका अपने करियर की शुरुआत की। परिवार में पति और बेटों को खोया। राजनीति में प्रवेश के बाद पार्षद, विधायक और राज्य सरकार में मंत्री बनी। झारखंड की गवर्नर बनने का मौका मिला।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, द्रौपदी मुर्मू एक व्यवस्थित जीवन जीती हैं। वह कितनी भी व्यस्त क्यों न हों, लेकिन सुबह जल्दी उठकर सैर करना, ध्यान और योग करना कभी नहीं भूलतीं।
द्रौपदी रोजाना सुबह 3:30 बजे उठ जाती हैं। इसके बाद वह सैर पर जाती हैं। घर पर ही योग करती हैं। समय को लेकर मुर्मू बहुत पाबंद हैं। कहा जाता है कि मुर्मू कभी देरी से नहीं पहुंचतीं।
द्रौपदी मुर्मू हमेशा अपने साथ दो किताबें साथ रखती हैं। एक ट्रांसलेट और दूसरी भगवान शिव की एक पुस्तिका। वह कहीं भी जाएं तो उन्हें बातचीत में दिक्कत न हो,
इसके लिए अनुवाद बुक रहती है। साथ ही उनका ध्यान न टूटे, इसके लिए वह शिव पुस्तिका का पाठ करती रहती हैं।
द्रौपदी मुर्मू के जीवन में एक दौर ऐसा आया जब उनके परिवार के चार सदस्य एक एक कर उन्हें छोड़कर दुनिया से दूर हो गए। उनके तीन बच्चों और पति की मौत से वह पूरी तरह टूट गईं।
द्रौपदी मुर्मू के बड़े बेटे का निधन रहस्यमयी तरीके से हुआ था। उनके निधन के बाद मुर्मू लगभग 6 महीने तक डिप्रेशन में रहीं। लेकिन उन्होंने खुद को इस अवसाद से बाहर निकाला।
तीन साल बाद छोटे बेटे की भी मौत हो गई। उसके लगभग एक साल बाद पति भी दुनिया से अलविदा कह गए।
सबसे छोटी बेटी का निधन महज तीन साल की उम्र में ही हो गया था। डिप्रेशन से निकलने के लिए वह ध्यान लगाने लगीं।
मुर्मू का अपना घर है, जहां वह पति से विवाह के बाद रहती थीं। हालांकि बच्चों और पति की मौत के बाद मुर्मू ने अपने घर को स्कूल में बदल दिया। इस कमरे में बड़े बेटे का निधन हुआ था,
उसे छात्रों का आवास बना दिया गया। हर साल बच्चों और पति की बरसी पर मुर्मू स्कूल में जरूर आती हैं और छात्रों से मुलाकात करती हैं।