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डिप्रेशन (तनाव) क्या है डिप्रेशन से बचने के तरीके

डिप्रेशन (तनाव) से घरेलु उपाए

by OneClickHindi
January 7, 2021
in हेल्थ
Reading Time: 1min read
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डिप्रेशन (तनाव) क्या है डिप्रेशन से बचने के तरीके

डिप्रेशन (तनाव) क्या है डिप्रेशन से बचने के तरीके

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आज के दौर में तनाव (डिप्रेशन) लोगों के लिए एक सामान्य अनुभव बन चुका है। जो कि अधिसंख्य दैहिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं द्वारा व्यक्त होता है। तनाव (डिप्रेशन) की पारंपरिक परिभाषा दैहिक प्रतिक्रिया पर केंद्रित है। हैंस शैले (Hans Selye) ने ‘तनाव’ (स्ट्रेस) शब्द को खोजा और इसकी परिभाषा को अपने शब्दो में व्यक्त किया है। हैंस शैले (Hans Selye) ने अपनी परिभाषा में कहा है कि शरीर की किसी भी आवश्यकता को उसके आधार पर अनिश्चित प्रतिक्रिया के रूप में की गयी है। हैंस शैले की पारिभाषा का आधार दैहिक है और यह हारमोन्स की क्रियाओं को अधिक महत्व देती है, जो ऐड्रिनल और अन्य ग्रन्थियों द्वारा स्रवित होते हैं।

हैंस शैले (Hans Selye) ने दो प्रकार के तनावों की संकल्पना की-

(क) यूस्ट्रेस (eustress) अर्थात मध्यम और इच्छित तनाव जैसे कि प्रतियोगी खेल खेलते समय

(ख) विपत्ति (distress/डिस्ट्रेस) जो बुरा, असंयमित, अतार्किक या अवांछित तनाव है।

डिप्रेशन (तनाव) क्या है डिप्रेशन से बचने के तरीके

तनाव पर नवीन उपागम व्यक्ति को उपलब्ध समायोजी संसाधानों के सम्बन्ध में स्थिति के मूल्यांकन एवं व्याख्या की भूमिका पर केंद्रित होती है। वही मूल्यांकन और समायोजन की अन्योन्याश्रित प्रक्रियायें व्यक्ति के वातावरण एवं उसके अनुकूलन के बीच सम्बन्ध निर्धारण को व्यक्त करती है। इसमें अनुकूलन वह प्रक्रिया है जिस के द्वारा व्यक्ति दैहिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक हित के इष्टतम स्तर को बनाए रखने के लिए अपने आसपास की स्थितियाँ एवं वातावरण को अनुसार व्यवस्थित करता है।

आज के समय में तनाव (डिप्रेशन) से हर व्यक्ति जूझता है। चूँकि यह हमारे मन से संबंधित रोग होता है। इसलिए हमारा मन स्थिति एवं बाहरी परिस्थिति के बीच असंतुलन एवं सामंजस्य न बनने के कारण तनाव मनुष्य के जीवन में उत्पन्न होता है। तनाव के कारण व्यक्ति में अनेक मनोविकार पैदा होते हैं। और वह हमेशा अशांत एवं अस्थिर रहता है। मानव के मन के अंदर हमेशा हलचल होती रहती है। तनाव एक द्वन्द की तरह है जो व्यक्ति के मन एवं भावनाओं में अस्थिरता को उत्पन करता है।

तनाव से ग्रस्त व्यक्ति कभी भी काम को स्थिरता से नहीं कर पाता है जिस कारण से वह एकाग्र नहीं हो पाता है, जिससे उसकी कार्यक्षमता पर काफी हद तक नकारात्मकता का दुष्प्रभाव पड़ता है। आमतौर पर देखा जाये तो मनुष्य के दिनचर्या में थोड़ी मात्रा में तनाव होना बहुत जरुरी है। क्योंकि इतना तनाव सामान्य व्यक्तित्व के विकास के लिए अति आवश्यक होता है परन्तु यह यदि हमारे भावनात्मक और शारीरिक जीवन का हिस्सा बन जाए तो यह हमारे लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

डिप्रेशन क्या होता है? (What is Depression in Hindi)

मानव में थोड़ी मात्रा में तनाव (डिप्रेशन) या स्ट्रेस होना मनुष्य हमारे जीवन का एक हिस्सा होता है। यह कभी-कभी फायदेमंद भी होता है जैसे, किसी कार्य को करने के लिए हम स्वयं को हल्के दबाव में महसूस करते हैं जिससे कि हम अपने कार्य को अच्छी तरह से कर पाते हैं और कार्य करते वक्त उत्साह भी बना रहता है। परन्तु जब यह तनाव अधिक और अनियंत्रित हो जाता है तो यह हमारे मस्तिष्क और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और यह कब अवसाद (Depression) में बदल जाता है, व्यक्ति को पता नहीं चलता है। डिप्रेशन उस व्यक्ति को होता है जो हमेशा तनाव में रहता है।

प्राय: यह देखा गया है कि व्यक्ति जिस चीज के प्रति डरता है वह उस पर और ज़्यादा हाभी होता है। जिस स्थिति पर उसका नियंत्रण नहीं रहता वह तनाव महसूस करने लगता है, जिस कारण उस व्यक्ति के ऊपर एक दबाव बनने लगता है। अगर व्यक्ति लम्बे समय तक इन परिस्थितियों में रहता है तो धीरे-धीरे वह खुद को तनाव ग्रस्त जीवन जीने की पद्धति का आदि हो जाता हो है। तब यदि उसे तनाव ग्रस्त स्थिति न मिले तो वह इस बात से भी तनाव महसूस करने लगता है। यह वह अवसाद होने की प्रारम्भिक स्थिति होती है।

तनाव (डिप्रेशन) क्यों होता है (Causes of Depression)?

आमतौर पर डिप्रेशन (तनाव) होने के बहुत सारे कारण होते है। जिनका बारे में विस्तार से जान लेना बहुत आवश्यक होता है।  तो चलिये इसके बारे में हम विस्तार से चर्चा करते है।

मानव के जीवन में अगर कोई बड़ा परिवर्तन आना जैसे-जीवन में कोई बड़ा परिवर्तन होना या फिर कोई दुर्घटना होना, या संघर्ष, किसी पारिवारिक सदस्य या किसी भी अपने खास प्रियजन को खो देना, आर्थिक समस्या या तंगी होना या ऐसे ही किन्हीं गम्भीर बदलावों के कारण।

मुख्य तौर पर मानव के शरीर के अंदर हार्मोन में आए बदलावों के कारण हो सकता है। जैसे- रजोनिवृत्ति (Menopause), प्रसव, थायरॉइड की समस्या आदि से सम्बंधित।

मौसम भी मानव जीवन में तनाव में एक अहम भूमिका निभाती है। चूँकि मौसम में आये परिवर्तन के कारण भी अवसाद हो जाता है। कई लोग तो सर्दियों में जब दिन छोटे होते हैं या धूप नहीं निकलती तो उनमे सुस्ती, थकान और रोजमर्रा के कार्यों में अरूचि महसूस करते हैं। परन्तु यह स्थिति तब ही तक रहती है जब सर्दियां खत्म हो जाती है। तो ये समस्या अपने आप ठीक हो जाती हैं।

इंसान के मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स (Neurotransmitters) होते हैं जो विशेष रूप से सेरोटोनिन (Serotonin), डोपामाइन (Dopamine) या नोरेपाइनफिरिन (Norepinephrine) खुशी और आनंद की भावनाओं को प्रभावित करते हैं लेकिन अवसाद की स्थिति में यह अव्यस्थित हो सकते हैं। इनके असंतुलित होने से व्यक्ति में अवसाद होने की सम्भावन होती है। परन्तु यह क्यों संतुलन से बाहर निकल जाते हैं इसका अभी तक पता नहीं चला है।

कुछ मामलों में देखा गया है कि अवसाद का मुख्य कारण अनुवांशिकी भी हो सकता है। यदि परिवार में पहले से यह गंभीर समस्या रही हो तो अगली पीढ़ी को यह होने की आशंका और भी ज्यादा बढ़ जाती है परन्तु इसमें कौन-सा जीन शामिल होता है।  जिसके करन से ये हो सकता है अभी इनके मुख्य कारणों का पता नहीं चल पाया है।

डिप्रेशन (तनाव) क्या है डिप्रेशन से बचने के तरीके
डिप्रेशन (तनाव) क्या है डिप्रेशन से बचने के तरीके

तनाव (डिप्रेशन) होने के लक्षण (Symptoms of Depression)

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि डिप्रेशन में लोग हमेशा काफी चिंता ग्रस्त रहते हैं। जिसके कारण वह किसी भी कार्य में एकाग्र नहीं हो पते है। और इसके अलावा और भी लक्षण होते हैं। जो निम्न पप्रकार से है।

मनुष्य को अवसाद होने के कारण से वह व्यक्ति हमेशा उदास रहता है।

वह व्यक्ति हमेशा स्वयं को हमेशा उलझनों से घिरा हुआ पता है और खुद को हारा हुआ महसूस करता है।

अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है।

व्यक्ति किसी भी कार्य को ध्यानपूर्वक नहीं कर पता है या वह अपने काम पर ध्यान केन्द्रित करने में सक्षम नहीं हो पाता है।

अवसाद का रोगी खुद को परिवार एवं भीड़ वाली जगहों से अलग रखने की कोशिश करता है। वह ज्यादातर अकेले रहना पसन्द करता है। इसका एक मुख्य कारण ये भी है कि वह खुद को अकेले रखना ज़्यदा पसंद करता है।

अगर वह खुशी के वातावरण में या खुशी देने वाली चीजों के होने पर भी वह व्यक्ति शामिल है तो भी वह खुद को उदास ही रखता है।

अवसाद का रोगी हमेशा चिड़चिड़ा रहता है तथा बहुत कम बोलना पसंद करता है। अवसाद के रोगी भीतर से उसके मन में हमेशा हलचल प्रतीत होते हैं तथा वह हमेशा चिन्ता में डूबे हुए दिखाई देते हैं।

यह कोई भी किसी तरह का निर्णय लेने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं तथा हमेशा खुद को भ्रम की स्थिति में पाते हैं।

अवसाद का रोगी अस्वस्थ भोजन की ओर ज्यादा आसक्त रहता है। तथा अवसाद के रोगी कोई भी किसी प्रकार की समस्या आने पर वह खुद को बहुत जल्दी हताश होते देखते हैं।

कुछ अवसाद के रोगियों में बहुत अधिक गुस्सा आने की भी समस्या देखी जाती है। और वह हर समय कुछ बुरा होने की आशंका को लेकर हमेशा परेशानी में घिरे रहते है।

डिप्रेशन (तनाव) क्या है डिप्रेशन से बचने के तरीके
डिप्रेशन (तनाव) क्या है डिप्रेशन से बचने के तरीके

तनाव (डिप्रेशन) से बचने के कुछ असरदार उपाय (Some Effective Measures to Avoid)

डिप्रेशन के दुष्प्रभाव से बचने के लिए अपनी जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव लाने की ज़रूरत होती है।

आहार

अवसाद के रोगी को भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए तथा ऐसे फलों और सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए जिनमें पानी की मात्रा अत्याधिक हो।

एक तनाव ग्रस्त व्यक्ति को पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करना चाहिए जिसमें शरीर के लिए जरूरी सभी विटामिन्स और खनिज उपलब्ध हो। हरी व पत्तेदार सब्जियाँ एवं मौसमी फलों का सेवन प्रचुर मात्रा में करना चाहियें।

चुकन्दर (Beetroot) का सेवन अवश्य करें, इसमें उचित मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं जैसे विटामिन्स, फोलेट, यूराडाइन और मैग्निशियम आदि। जोकि यह हमारे मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स की तरह काम करते हैं जो कि अवसाद के रोगी के मूड को बदलने का कार्य करते हैं। व्यक्ति को अपने भोजन में ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल जरूर करें। इसमें उचित मात्रा में एंटी-ऑक्सिडेट्स और मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड्स पाये जाते हैं, यह हृदय रोग तथा अवसाद को दूर करने में काफी मददगार साबित होते हैं।

अवसाद के रोगी में अस्वस्थ भोजन एवं अधिक भोजन करने की प्रवृत्ति होती है। अतः अवसाद के रोगी को जितना हो सके जंक फूड और बासी भोजन से दूर रहना चाहिए । इसकी बजाय आप चाहे तो घर पर बने पोषक तत्वों से भरपूर और सात्विक भोजन का इस्तेमाल भी कर सकते `है

आप चाहे तो अपने भोजन में एवं सलाद के रूप में टमाटर का सेवन करें। टमाटर में लाइकोपीन नाम का एंटी-ऑक्सिडेंट पाया जाता है जो अवसाद से लड़ने में आपकी मदद करता है। यह एक शोध के अनुसार पता चला है। जो लोग सप्ताह में 4-6 बार टमाटर खाते हैं वे सामान्य की तुलना में कम अवसाद ग्रस्त होते हैं।

व्यक्ति को चाहियें की वह अबसाद से बचने के लिए जंक फूड का सेवन पूरी तरह से त्याग दें।

साथ ही व्यक्ति को चाहियें की वह अधिक मात्रा में चीनी एवं अधिक नमक का सेवन नहीं करे।

मांसाहार और बासी भोजन का सेवन नहीं करे।

धूम्रपान, मद्यसेवन या किसी भी प्रकार का नशे का सर्वथा पूर्ण रूप से छोड़ देना चाहिए।

कैफीनयुक्त पदार्थ जैसे चाय, कॉफी का अधिक सेवन।

जीवनशैली

सबसे पहले डिप्रेशन दूर करने के लिए व्यक्ति को आठ घंटे की नींद लेना अनिवार्य है। व्यक्ति की नींद पूरी होगी तो ही उसका दिमाग तरोताजा होगा और नकारात्मक भाव मन में कम आएंगे।
प्रतिदिन सूरज की रोशनी में कुछ देर जरूर रहें। इससे अवसाद जल्दी आपके मस्तिष्क से हटेगा।
व्यक्ति को प्रतिदिन बाहर टहलने प्रतिदिन जाना चाहियें। रोज बाहर टहलें, कभी-कभी कॉफी शॉप में कुछ समय बिताएं या बाहर खाना खाने जाएं। इससे आपके मन में उत्साह बना रहेगा।

व्यक्ति को चाहियें की वह अपने काम का पूरा हिसाब रखें। दिन भर में आप कितना काम करते हैं और किस गतिविधि को कितना समय देते हैं इस पर जरूर गौर करें। इससे आपको सभी गतिविधियों के बीच संतुलन बनाने में आसानी होगी और तनाव कम होगा।

तनाव से ग्रस्त रोगी को उचित खान-पान के साथ अच्छी जीवन शैली का भी पालन करना चाहिए जैसे व्यक्ति को अपने परिवार और दोस्तों के साथ अधिक बिताना चाहिए। अपने किसी खास दोस्त से अपने मन की बातों को कहना चाहिए।

अवसाद से निकलने के लिए एक व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में व्यायाम, योग एवं ध्यान को अवश्य जगह देनी चाहिए। यह अवसाद के रोगी के मस्तिष्क को शान्त करते हैं तथा उनमें हार्मोनल असंतुलन को ठीक करते हैं।

व्यक्ति को सुबह उठकर योगासन और प्राणायाम करना चाहिए।

तनाव से ग्रसित रोगी को ध्यान या मेडिटेशन अवश्य करना चाहिए। प्राय: अवसाद ग्रस्त व्यक्ति खुद को एकाग्र करने में असफल पाता है। लेकिन शुरूआत में थोड़े समय के लिए ही सही पर ध्यान लगाने की कोशिश जरूर करनी चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति को कोई दुर्घटना या किसी खास कारण की वजह से डिप्रेशन हुआ है तो उसे ऐसे कारणों और जगह से दूर रखना चाहिए।

अवसाद के रोगी को प्राकृतिक एवं शान्ति प्रदान करने वाली जगहों पर जरूर जाना चाहिए साथ ही मधुर संगीत एवं सकारात्मक विचारों से युक्त किताबें पढ़नी चाहिए। ऐसा करने से वह व्यक्ति खुद को तनाव मुक्त रख सकता है।

व्यक्ति को चहिययें कि वह स्वयं को सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रखे और वह खुद को लोगो के बीच रखकर अकेले रहने की आदत से दूर से बचना चाहिए।

डिप्रेशन से बचने के घरेलू उपाय (Home Remedies for Depression)

तनाव यदि अपनी प्रारम्भिक अवस्था में हो तो यह अच्छी जीवनशैली, मनोविश्लेषण और मनोचिकित्सा (Psychotherapy) द्वारा ही ठीक हो जाता है परन्तु जब गहन अवसाद में उपचार की आवश्यकता होती है। ऐसे में ऐलोपैथ में जो एंटी-डिप्रेसेंट दवाइयाँ दी जाती है, वह व्यक्ति को धीरे-धीरे इन दवाइयों की आदत पड़ जाती है। जिससे व्यक्ति के हृदय से जुड़ी बीमारियाँ होने का भी खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

व्यक्ति के मस्तिष्क में सेरोटोनिन के प्रभाव से मूड बनता और बिगड़ता है। तथा तनाव से बचने के लिए ऐसी दवाइयाँ दी जाती हैं जो न्यूरोन के माध्यम से सेरोटोनिन को अवशोषित कर अवसाद के प्रभाव को रोकने में काफी मददगार होती है। जबकि हमारे शरीर के प्रमुख अंग जैसे हृदय, फेफड़े, गुर्दे और यकृत में सेरोटोनिन खून को संचालित करने में एक अहम महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एलोपैथिक दवाएँ इन अंगों द्वारा सेरोटोनिन के अवशोषण को रोक देती है।

जिस कारण इन अंगों के कार्य पर काफी दुष्प्रभाव पड़ता है। और इनके बिना वह खुद को अपनी दैनिक जीवनचर्या करने और सोने में भी असमर्थ पाता है। अत: तनाव के लिए घरेलू उपाय, आयुर्वेद दवाइयाँ और मनोविश्लेषण का सहारा लेना चाहिए। आयुर्वेद एक प्राकृतिक चिकित्सा ऐसी पद्धति है जो वात, पित्त, कफ दोषों को संतुलित कर शरीर को स्वस्थ बनाती है। आयुर्वेदिक औषधियाँ व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ बनाती हैं एवं व्यक्ति को ऊर्जावान बनाती हैं। इनके सेवन से रोगी के शरीर में कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।

डिप्रेशन (तनाव) क्या है डिप्रेशन से बचने के तरीके
डिप्रेशन (तनाव) क्या है डिप्रेशन से बचने के तरीके

तनाव से बचने के लिए बनाये अपनी विशलिस्ट

डिप्रेशन से छुटकारा पाने के लिए आप अपनी विश लिस्ट को बना सकते हैं जिसमें हर वह काम जिसमें आपको खुशी मिलती है जरूर करें। जैसे प्रकृति के करीब समय बिताना, अच्छी किताब पढ़ना, खाना बनाना, लिखना, संगीत सुनना, टीवी देखना या कोई और  मनपसंद शौक को पूरा करना।
इसके लिए आप अपने समय को निर्धारित करें और आप कितने भी व्यस्त क्यों न हों इन्हें पूरा करने का प्रयास जरूर करें। इससे आपके मन की उदासी दूर होगी और कुछ नया करने का उत्साह बना रहेगा। आप इसमें कहां तक सफल हुए हैं और कितनी गतिविधियां कर पा रहे हैं, इसका लेखा-जोखा रखें।

ऐसे रखें अपने गुस्से को नियंत्रित

आप तनाव से ग्रस्त है और क्या आपको बहुत ज्यादा गुस्सा आता है और छोटी-छोटी बातों पर आपको गुस्सा आता है या फिर एक बार गुस्सा आ जाए तो खुद को शांत करना आपके बस में ही नहीं होता? अगर आप गुस्से पर नियंत्रण से संबंधित किसी भी समस्या से जूझ रहे हैं तो जरा इन उपायों पर गौर करें –

अपने दिमाग को करें ‘शट डाउन’

आपको बहुत ज्यादा क्रोध आता है और दिमाग को कुछ नहीं सूझता या आप अपने आपे से बाहर हो जाते है। ऐसे में अपने गुस्से पर नियंत्रण के लिए सबसे पहले दिमाग के कंप्यूटर को शटडाउन करने लें यानी सब कुछ सोचना बंद कर दें। कौन क्या कह रहा है, किस बात पर आपको गुस्सा आ रहा है, आस-पास क्या चल रहा है, आप किसी भी बात पर ध्यान न दें। ऐसे करने से आप खुद पर कंट्रोल पा सकते है।

लंबी श्वास से मिलेगी राहत

व्यक्ति को चाहियें की वह गहरी श्वास लें जिससे उसकी सभी इंद्रियों को आराम मिलेगा। यह उपाय काफी समय से चला आ रहा है। आप अपनी सांसों पर केंद्रित होकर लंबी सांस लेने से दिमागी तनाव को आराम मिलता है। क्रोध पर तुरंत नियंत्रण के लिए इससे अधिक प्रभावी उपाय कुछ नहीं हो सकता है।

पहले सोचो और फिर उसके बाद अपनी प्रतिक्रिया दो

एक बार जब आपने अपने गुस्से पर थोड़ा नियंत्रण कर लिया तो शांत दिमाग से सोचें कि आपका मुद्दा क्या था, गलती किसकी थी और अब आगे क्या करना है। इससे फायदा यह होगा कि आपको पूरे मामले में अपनी गलती भी समझ में आ जाएगी।

सौम्यता से अपनी बात रखें

अब आप अपनी बात सामने वाले के आगे सौम्यता से रखें। अगर कहीं आपकी गलती है तो सबसे पहले माफी मांग लें जिससे आपको अपनी बात कहने में संकोच न हो। इस तरह किसी भी परिस्थिति में क्रोध पर नियंत्रण पाने के इस उपाय पर हमेशा अमल करने से धीरे-धीरे आपका गुस्सा खुद ही कम होने लगेगा।

डिप्रेशन (तनाव) क्या है डिप्रेशन से बचने के तरीके
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तनाव से ग्रसित व्यक्ति को डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ? (When should a person with stress go to the doctor)

एक तनाव पूर्ण व्यक्ति को किसी दुर्घटना या किसी मानसिक आघात के कारण कुछ समय के लिए अवसाद हो सकता है परन्तु अच्छे खान-पान, जीवनशैली और सामाजिक सक्रियता के कारण यह लम्बे समय तक नहीं रहता है। यदि वह किसी में यह स्थिति दो या तीन महीने से ज्यादा रहे तो वह व्यक्ति धीरे-धीरे और भी गहरे अवसाद में चले जाता है। जिसका असर देखने को मिलता है। ऐसा होने पर वह साइको न्यूरोटिस जैसी स्थिति में भी आ सकता है जो कि व्यक्ति को आत्महत्या की ओर ले जाती है। जोकि एक गंभीर समस्या है। अत: किसी व्यक्ति में यदि सामान्य से अधिक लम्बे समय तक अवसाद बना रहे, तो उसे तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क कर उचित उपचार और मनोविश्लेषण कराना चाहिए।

मित्रो इस लेख में अगर कोई त्रुटि हो उसके लिए क्षमा कीजियेगा। और अगर आपको ये लेख पसंद आया हो तो कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दे।

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